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डॉ० रामबली मिश्र विरचित वर्णिक चतुष्पदी




डॉ०  रामबली मिश्र विरचित वर्णिक चतुष्पदी


रमते चलना बढ़ते रहना।

उर दाहक घाव भरा करना।


सबके प्रति दृष्टि दयामय हो।

करुणा रस धार बने बहना।।


सबकी सुनना मत वाद करो।

अति पावन हो शिव नाद करो।


अतिवाद कभी करना मत रे।

सुखवाद रचो दुखवाद हरो।


प्रण हो मन में सब स्वस्थ रहें।

सबके हित में सब व्यस्त रहें।


सबमें शिव भाव वटांकुर हो।

सब प्राणि सदा अति मस्त रहें।





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2 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:45 PM

👍👍🌺

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अदिति झा

21-Jan-2023 10:32 PM

Nice 👍🏼

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